Add To collaction

हिंदी दिवस प्रतियोगिता


जब चली हवा बौराई सी

जब कोयल गाये बागों में
मोगरे घुले हों साँसों में
पत्ते फूलों से बात करें 
आये वसन्त आभासों में
हरियाली चारों ओर दिखे
और फूल खिले हों सरसों के
और मन को एकाएक मिले
आनन्द इकट्ठा वर्षों के।
जब याद आये पुरवाई की
और चले हवा बौराई सी।

मैं काम सभी पूरे करके
विश्राम दुपहरी में करके
जब शाम को तुम्हें परखती हूँ
नयनों में आशाएं भरके
फिर बिना जताए आकर तुम 
पीछे से मुझे थाम लेना
एक हाथ गले में माला सी
मुझको चुपके पहना देना
दूसरे हाथ से ढक देना
मेरी पलकें सकुचाई सी
फिर चले हवा बौराई सी।

हिंदी दिवस प्रतियोगिता हेतु
मौलिक रचना




   19
9 Comments

ओये होए,,, क्या कहने जी, outstanding

Reply

Bahut khoob 🙏🌺

Reply

Anshumandwivedi426

10-Sep-2022 07:49 PM

सादर धन्यवाद

Reply

Raziya bano

10-Sep-2022 09:08 AM

Nice

Reply

Anshumandwivedi426

10-Sep-2022 10:41 AM

Thanks

Reply